राज्य सभा में राजद सांसद मनोज झा का पेरियार पर केंद्रित भाषण
25 मार्च, 2022 को राज्यसभा में भाजपा के राकेश सिन्हा द्वारा एक निजी प्रस्ताव पेश किया गया। इसका केंद्रीय विषय अन्य मसलों के साथ-साथ, सरकार से यह अनुरोध भी करना था कि वह ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए, नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की तर्ज पर राज्य और जिला स्तर पर भी रिसर्च फाउंडेशन स्थापित करे। राजद सांसद प्रो. मनोज कुमार झा ने इस प्रस्ताव का विरोध किया तथा इस क्रम में प्रमोद रंजन द्वारा संपादित ईवी रामासामी पेरियार की सच्ची रामायण के अंश पढ़ कर सुनाए। यह पुस्तक राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। भारतीय संसद में पेरियार की सच्ची रामायण को पढ़े जाने का यह पहला अवसर था। यह पुस्तक राम कथा के द... Mehr ...
Verfasser: | |
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Dokumenttyp: | other |
Erscheinungsdatum: | 2022 |
Schlagwörter: | Periyar / speech in rajya saba / socail justice in india / Dalit |
Sprache: | Hindi |
Permalink: | https://search.fid-benelux.de/Record/base-26887303 |
Datenquelle: | BASE; Originalkatalog |
Powered By: | BASE |
Link(s) : | https://zenodo.org/record/6783273 |
25 मार्च, 2022 को राज्यसभा में भाजपा के राकेश सिन्हा द्वारा एक निजी प्रस्ताव पेश किया गया। इसका केंद्रीय विषय अन्य मसलों के साथ-साथ, सरकार से यह अनुरोध भी करना था कि वह ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए, नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की तर्ज पर राज्य और जिला स्तर पर भी रिसर्च फाउंडेशन स्थापित करे। राजद सांसद प्रो. मनोज कुमार झा ने इस प्रस्ताव का विरोध किया तथा इस क्रम में प्रमोद रंजन द्वारा संपादित ईवी रामासामी पेरियार की सच्ची रामायण के अंश पढ़ कर सुनाए। यह पुस्तक राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। भारतीय संसद में पेरियार की सच्ची रामायण को पढ़े जाने का यह पहला अवसर था। यह पुस्तक राम कथा के द्रविड़ पाठ के कारण विवादित रही है। ; Sir, there is this book Sachchi Ramayan. It was banned. Many of his other books were also banned. When people fought against the banning of the book, we all should know what the Allahabad High Court said about Periyar. court said "It is not possible for us to accept that what is written in the book would hurt the religion or the religious sentiments of the Aryans. Rather than deliberately hurting the sentiments of the Hindus, the objective of the writer may have been to highlight the injustice done to his caste. Doing this can definitely not be considered unconstitutional."